चुनाव के बेला में दल और दिल बदलते नेता,कई विधायक भाजपा में शामिल Jharkhand Koderma by Ravi - October 23, 2019October 23, 20191 रांची/कोडरमा : चुनाव में दल बदलने का भारतीय इतिहास रहा है, जो अब भी बदस्तूर जारी है। इसी क्रम में 23 अक्टूबर को झारखंड में एकबार फिर विपक्षी दलों के विधायको ने सत्ताधारी दल भाजपा का दामन थांम लिया है। साथ राज्य के कई रिटायर्ड आईपीएस अफसरों ने भी भाजपा जॉइन कर लिया है।नेताओं के इस तरह से दल बदलने से झारखंड एकबार फिर से वैचारिक राजनीति के संकट से जूझता नजर आ रहा है। क्या सत्ता बनाये रखने के लिए दल बदलना जरूरी है या फिर अपनी राजनीति साख बचाये रखने के लिए दल परिवर्तन अतिआवश्यक हो गया है। रघुवर सरकार ने 65 पार का नारा यूँही नही दिया है। ये आत्मविश्वाश है कि विपक्ष कतरा भर भी नही बचेगा नही तो 65 पार तो होना ही है। भाजपा की रणनीति हर कोने से विपक्षी दलों के नेताओं को भाजपा में शामिल कराने की रही, जिसमे वो सफल रहे। बरही से कांग्रेस विधायक मनोज यादव,लोहरदगा विधायक और पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सुखदेव भगत,बहरागोड़ा से झामुमो विधायक कुणाल षाड़ंगी, भवनाथपुर के नव जवान संघर्ष मोर्चा के विधायक भानु प्रताप शाही ने मुख्यमंत्री रघुवर दास,प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुआ, चुनाव प्रभारी नंद किशोर यादव, हज़ारीबाग़ सांसद जयंत सिन्हा के समक्ष पार्टी जॉइन कर ली। हालांकि मांडू के झामुमो के निष्काषित विधायक जय प्रकाश भाई पटेल समय पर पार्टी कार्यालय नही पहुंच पाए। लेकिन मुख्यमंत्री के पार्टी कार्यालय से निकलने के बाद जेपी भाई पटेल भाजपा कार्यालय पहुंचे और भाजपा जॉइन कर ली। इनके अलावे झारखंड के डीजीपी रहे डीके पांडेय,कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव अरुण उरांव,पूर्व अधिकारी सुचित्रा सिन्हा ने भी पार्टी की सदस्यता ले ली।
दुःखद है जैसे लोग कपड़े बदलते है वैसे ही विचार बदल रहे है सालो तक पानी पी कर जिस पार्टी को गाली दी कार्यकर्ता को मारा पीटा डराया धमकाया आज गलबहियां कर रहे है अपने स्वार्थ के लिए जनता के विश्वास का गला घोंटा जा रहा है।नैतिक मूल्यों का पतन हो रहा है।जिनमे इतनी हिम्मत आती कहा से है क्यो की उन्हें पता है कार्यकर्ता और जनता को कैसे उल्लू बनाया जा सकता है जाति ,धर्म,और बाहरी भीतरी कर चुनाव जीत जाना है फिर जनता समझें।शिक्षा, रोजगार,व्यवसाय भाड़ में जाय।जै हो भाग्य विधाता