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जिला परिषद प्रधान शालिनी गुप्ता ने स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता से की मुलाकात

कोडरमा जिले में स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ चिकित्सकों की पदस्थापना की मांग की

कोडरमा। जिले में स्वास्थ्य सुविधाओं तथा चिकित्सकों की पदस्थापना को लेकर मंगलवार को जिला परिषद प्रधान शालिनी गुप्ता ने राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता से मुलाकात की। इस दौरान उन्हें स्मार पत्र भी सौंपा जिसमें कोडरमा जिले में स्वास्थ्य सुविधाओं पर जोर देते हुए चिकित्सकों की पदस्थापना की मांग की गई। पत्र में कहा गया है कि स्वास्थ्य सुविधाओं के दृष्टिकोण से कोडरमा जिला पिछड़ा जिला है, जहां एक सदर अस्पताल, प्रखंडों में स्वास्थ्य केंद्र के अलावा कुछ निजी क्लीनिक और अस्पताल हैं। जिले में आम लोगों और गरीबों के इलाज का मुख्य केंद्र सदर अस्पताल ही है जहां ओटी में प्रति माह औसतन 100 से 125 महिलाओं का सिजेरियन के माध्यम से प्रसव होता है।यहां इमरजेंसी मामलों में प्रत्येक महीना औसतन सर्पदंश के 15 से 20 मरीज, जहरीला विषपान के 12 से 15 मरीज, सड़क दुर्घटना 100 से 125 मरीज आते हैं। इसके अलावा अन्य मरीजों की संख्या 2000 से 2500 की रहती है। जिप प्रधान शालिनी गुप्ता ने पत्र में कहा है कि राज्य सरकार के द्वारा सदर अस्पताल में मरीजों का आपरेशन करने वाले 3 चिकित्सा पदाधिकारी का तबादला कर दिया गया है। इन्हीं चिकित्सकों के सहारे सदर अस्पताल में स्थित डेडिकेटेड कोविड हेल्थ सेंटर में मरीजों की सेवा दी जाती है। वहीं महिला ओपीडी में एकमात्र महिला चिकित्सक पदस्थापित थीं जिनका तबादला कर दिया गया। इनके अलावा 2 महिला चिकित्सक को सप्ताह में दो दो दिन प्रतिनियुक्ति कर ओपीडी सेवा ली जाती है अब महिला ओपीडी प्रभावित होगा। कोडरमा जिले व सदर अस्पताल में पूर्व से ही चिकित्सा पदाधिकारियों की घोर कमी है। सदर अस्पताल में कुल 30 चिकित्सा पदाधिकारी एवं विशेषज्ञ चिकित्सा पदाधिकारी का स्वीकृत पद है। जबकि कुल 9 चिकित्सक ही नियमित रूप से सदर अस्पताल में पदस्थापित हैं। इनमें 6 नियमित चिकित्सा पदाधिकारी और 3 अनुबंध पर प्रतिनियुक्त चिकित्सक के सहारे जिला अस्पताल में 24 घंटे स्वास्थ्य सेवाएं दी जाती हैं। स्थानांतरण की अधिसूचना में सदर अस्पताल से चार चिकित्सा पदाधिकारी का तबादला कर दिया गया जबकि सिर्फ दो नए चिकित्सा पदाधिकारियों की पदस्थापना यहां की गई है। वहीं कोडरमा जिले में कुल स्वीकृत 81 चिकित्सकों के पद के विरुद्ध अभी मात्र 33 पदस्थापित हैं और 48 पद रिक्त हैं। यहां स्वीकृत पद के हिसाब से 10 शिशु रोग विशेषज्ञ होने चाहिए, परंतु पूरे जिले में महज दो शिशु रोग विशेषज्ञ पदस्थापित हैं। अगस्त सितंबर महीने में कोरोना की तीसरी लहर आने और इससे बच्चों के प्रभावित होने की चर्चा है। ऐसे में चिकित्सकों की कमी से स्वास्थ्य व्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हो सकती है। सदर अस्पताल में पिछले साढ़े तीन वर्ष से उपाधीक्षक का पद प्रभार में चल रहा है जिसके कारण भी स्वास्थ्य सुविधाओं पर असर पड़ता है। इन स्थितियों में बड़ी संख्या में चिकित्सकों के स्थानांतरण के कारण सदर अस्पताल के साथ ही पूरे जिले की स्वास्थ्य सुविधाओं पर गम्भीर असर पड़ेगा जिससे गरीब और आम लोग प्रभावित होंगे। जिप प्रधान शालिनी गुप्ता ने स्वास्थ मंत्री से आग्रह किया कि जनहित में कोडरमा से चिकित्सकों के स्थानांतरण सूची को संशोधित करते हुए जिले में और चिकित्सकों की पदस्थापना की जाय ताकि लोक कल्याणकारी राज्य का लाभ आम लोगों व गरीबों को मिल सके।

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