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प्रथम महिला शिक्षिका सावित्री बाई फुले की जयंती मनाई गई

कोडरमा – भारत की प्रथम महिला शिक्षिका और महान समाज सुधारक माता सावित्री बाई फुले की 190वीं जयंती बदडीहा ग्राम के भीम मुहल्ला मे मनाया गया. प्रगतिशील संगठनों का प्लेटफार्म ‘हम अगर उठे नहीं तो’ के बैनर तले आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता समाजसेवी जगदीश राम तथा संचालन लेखराज दास ने किया. सर्वप्रथम सावित्री बाई फुले के चित्र पर महिलाओं ने दीप प्रज्वलित कर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किया. जिसके बाद उपस्थित लोगों ने पुष्प चढ़ा कर उन्हे श्रद्धांजलि दिया. जहाँ माता सावित्री बाई फुले अमर रहे, शिक्षा के दीप को आगे बढ़ाएंगे आदि गगनभेदी नारे लगाये जा रहे थे. इस अवसर पर ज्ञान विज्ञान समिति के जिलाध्यक्ष रामरतन अवध्या ने उनके जीवन के बारे मे विस्तार से कहा कि माता सावित्रीबाई ज्योतिराव फुले का जन्म 3 जनवरी 1831 को हुआ था. वे भारत की प्रथम महिला शिक्षिका, समाज सुधारिका एवं मराठी कवियत्री थीं। उन्होंने अपने पति ज्योतिराव गोविंदराव फुले के साथ मिलकर स्त्री अधिकारों एवं शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किए। सामाजिक कार्यकर्त्ता और किसान सभा के नेता असीम सरकार ने कहा कि माता फुले को आधुनिक मराठी काव्य का अग्रदूत माना जाता है। 1852 में उन्होंने बालिकाओं के लिए एक विद्यालय की स्थापना की। ताकि सभी बालिकाओं को पढ़ने का अवसर मिले. लेकिन वर्तमान केंद्र की सरकार नई शिक्षा नीति (एनईपी) के माध्यम से शिक्षा का निजीकरण कर गरीबों, दलितों व वंचित वर्गों से शिक्षा का आधिकार छीन लेना चाहती है. कॉरपोरेट पक्षीय कृषि कानून के माध्यम से हमारी खेती और किसानी को पूंजीपतियों के हांथों सौपने की साजिश कर रही है, जिसके खिलाफ लाखों किसान सड़कों पर है. जिसके साथ हम एकजुटता जाहिर करते हैं. वहीं सीटू राज्य कमिटी सदस्य संजय पासवान ने कहा कि आज देश गंभीर स्थिति मे खड़ा है, अर्थव्यवस्था रसातल मे चला गया, बैंक, बीमा, रेल, कोयला सहित अन्य सार्वजनिक सम्पतियों का निजीकरण किया जा रहा है, देश मे बेरोजगारी की फौज खड़ी है. एक तरफ लॉक डाउन दूसरी तरफ महंगाई की मार से जनता तरस्त है, खेती और शिक्षा का भी निजीकरण किया जा रहा है. देश आज फिर से गुलामी की और अग्रसर है. ऐसे मे सबको एकजुट होना होगा. क्योंकि हम अगर उठे नहीं तो इतिहास हमें माफ नहीं करेगा. कार्यक्रम मे राजेश कुमार दास, जितेन्द्र दास, राजकुमार दास, नरेन्द्र कुमार, बिरजू कुमार, दुर्गा दास, गौरवा देवी, किरण देवी, मीना देवी, गीता देवी, सुदामा देवी, मंजू देवी, यशोदा देवी, गिरधारी दास सहित दर्जनों ग्रामीण शामिल थे.

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