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हाई रिस्क में संचालित हो रहा पत्थर खदान,सुरक्षा मानकों की उड़ाई जा रही धज्जियां

कोडरमा। जिले में सैंकड़ो की संख्या में पत्थर खदान संचालित है। अबरख के बाद पत्थर खनन के कारण ही कोडरमा में अर्थव्यवस्था सरपट दौड़ लगाती है। लेकिन आश्चर्य होता है कि पत्थर खदान में खनन कार्य हाई रिस्क में और सुरक्षा मानक की अवहेलना कर लगातार संचालित हो रही है। बेशक़ पत्थर खनन से सरकार को राजस्व प्राप्ति होती है। लेकिन खनन के आड़ में कई नियमो की खुलकर धज्जियां उड़ाई जा रही। नियमों को ताख पर रखकर पत्थर खदान संचालित होने से दुर्घटना होने पर उसका शिकार गरीब और मजदूर होते है। जिनकी मौत होने पर कई बार खदान मालिक पूरी घटना को ही जमीदोंज कर जाते है। वहीं कई बार मृतक के परिजन और खदान मालिक के बीच समझौता के जरिये मामला रफा-दफ़ा कर दिया जाता है।

पुरनाडीह में दुर्घनाग्रस्त खदान की कहानी

पुरनाडीह के जिस खदान में मंगलवार को दुर्घटना हुई, उस घटना में शक्तिमान के गहरे खदान में अनियंत्रित होकर गिरने से दो चालकों की मौत हो गयी। खदान दो भाग में बंटी है। दोनों खदान में नीचे जाने का रास्ता एक ही है। नीचे जाकर रास्ता दो विपरीत भाग में बंट गयी है। जिस जगह से दोनों खदान में जाने का रास्ता अलग हुआ है, उस स्थान पर 200 फिट ऊपर और 200 फिट नीचे तक चट्टान का बड़ा हिस्सा है। जिसमें कई जगह बड़ी बड़ी दरारें है। उक्त खदान में किसी आम इंसान को खदान के सबसे निचले हिस्से में खड़ा कर दिया जाय तो उसे हर सेकंड मौत सर पर मंडराता महसूस होगा। उक्त खदान का कटाव इस प्रकार हुआ है कि नीचे से ऊपर देखने पर बड़ा चट्टान झुका नज़र आता है। इसलिए इस लिए काम करने वाला व्यक्ति हाई रिस्क में कार्य करता है।

20 फिट की दूरी पर बेंचिंग नदारत

पुरनाडीह के उक्त खदान में बेंचिंग कहीं नही दिखी। जबकि खनन मानक के अनुसार प्रत्येक 20 फिट की दूरी पर बेंचिंग होना जरूरी है। इसके बाबजूद खदान संचालित था। खदान में आवागमन के लिए बेंचिंग बेहद खास होती है। लेकिन इस खदान में बेंचिंग नदारद थी।

माँ दुर्गा स्टोन वर्क्स के पट्टाधारी

उक्त खदान के बाहर लगे बोर्ड में माँ दुर्गा स्टोन वर्क्स लिखा है। साथ ही ईश्वर साव और चंद्रदेव यादव दो नाम अंकित है। बोर्ड पर खदान के ब्यौरा के रूप में मौजा-पुरनाडीह, खाता संख्या-38,204,प्लॉट 2803, 2804,2805,2806,2813 अंकित है। जबकि एरिया के कॉलम में 0.52 एकड़ अंकित है। अवधि के कॉलम में 2011से 2021 तक है। वही उक्त स्थल के बगल में ही पट्टाधारी सरयू यादव का भी खदान है। जिसमे खाता नंबर 327,प्लॉट no 2801,रकवा 0.54 लिखा है। अवधि के कॉलम में 2009 से 2019E लिखा है। यह खदान बंद पाया गया।

पट्टादारी के नाम से खदान, लेकिन मालिक होता है कोई और

ग्राउंड रिपोर्ट में आसपास के लोगों से पूछने पर पता चला कि पट्टादारी के नाम से खदान संचालित किया जाता है। लेकिन इस खदान के कारोबार में कई लोग अप्रत्यक्ष तौर से जुड़े होते है।जिस खदान में दुर्घटना हुई, उसके पट्टेदार ईश्वर साव और चंद्रदेव यादव है। लेकिन खदान का मालिक संजू राय बताया। जबकि इस खदान में कई पार्टनर अलग अलग जमीन पर हिस्सेदार है।

इन नियमो की अनदेखी

खदानों के मानक के अनुरूप ओपन कास्ट खदानों में फैंसिंग बेंचिंग कटवाना,सुरक्षा के व्यापक व्यवस्था, वाहनों व मजदूरों का श्रम विभाग से निबंधन व इन्सुरेंस, हेलमेट एवं जूते आदि मुहैया कराना प्रावधान है, लेकिन नियमों को ताक पर रखकर धड़ल्ले से यह काम किया जाता है। वहीं प्रशासन भी पूर्व में कोई ठोस कदम नहीं उठाता दिखा है। अब देखना लाज़िमी होगा कि प्रशासन इस दुर्घटना के बाद क्या एक्शन लेती है।

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