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फुटपाथ व ठेला विक्रेता के जीवकोपार्जन के लिए स्थायी व्यवस्था की जाए :- सईद नसीम

कोडरमा। शहरों में बेहतरीन नगरीय व्यवस्था देना हर सरकार की नीति होती है और स्थानीय निकाय की प्राथमिकता होती है इसका मतलब यह कतई नही हो सकता है कि जब तक बेहतर इंतजाम न हो फुटपाथों पर बर्षों से अस्थाई दुकानदारों को हटा रोजगार विहीन व बेबस न कर दिया जाय। उक्त बातें कांग्रेस नेता सईद नसीम ने कही उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायलय के आदेशानुसार और झारखंड सरकार की संकल्प है कि सभी शहरों में फुटपाथ व अन्य जगहों पर में वर्षों से दुकानदारी करके जीवकोपार्जन करने वालों को चिन्हित करके परिचय पत्र के साथ आर्थिक सहयोग दिया जाय। फुटपाथ दुकानदारों को उस समय तक न हटाया जाएगा जब तक उनके लिए कोई बेहतर इंतजाम न हो जाए। लोकप्रिय मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जी की अगुवाई में गरीब के जीवन में बदलाव लाना राज्य सरकार की प्राथमिकता रही है। लेकिन नगरपरिषद झुमरीतिलैया ने फुटपाथ व ठेला विक्रेता गरीबों को चिन्हित करके वेंडर कार्ड एवं वेंडिग प्रमाण पत्र का वितरण पुर्व मे तो कर दिया लेकिन अभी तक इन गरीबों को समुचित व्यवस्था का इंतजाम नहीं कर पाई हैl ये लोग वर्षो से अपने परिवार का भरण पोषण फुटपाथ व ठेला पर फल सब्जी आदि बेचकर किसी तरह से जीवोकोपर्जन कर रहे है। सर्व विदित है कि इन चिन्हित गरीब दुकानदारों को पहचान पत्र देते वक्त बताया गया था कि नगर परिषद द्वारा जारी किए गए वेंडर पहचान पत्र एवं सर्टिफिकेट रखने वाले फुटपाथ दुकानदार ही अधिकृत वेंडर माने जाएंगे और जल्द ही सभी चिन्हित दुकानदारों को समुचित व्यवस्था के साथ स्थायी जगह आवंटित किए जायेंगे। पहचान पत्रों के माध्यम से कई लोगो को बैंको के माध्यम से ऋण भी दिए गए। ऐसे में जब जाहिरउद्दीन, दीपक मोदी, महेश मोदी, विनय कुमार, सुनील आदि दर्जनों फुटपाथ विक्रेता लोग चिन्हित स्थान पर ही दुकान लगा रहे थे ऐसे में नगर परिषद द्वारा अतिक्रमण के नाम पर रुपया 500 का जुर्माना वसूला जाना बिल्कुल अनुचित, अमानवीय के साथ ही नगरपरिषद के कार्यपालक पदाधिकारी के तानाशाही रवैये को दर्शाता है। जब नगरपरिषद के प्रतिनिधि प्रतिदिन इन फुटपाथ दुकानदारो से टोकन मनी प्रतिदिन वसूलकर कमाई करती है तो वहीं दूसरी ओर अपने बनाये गए व्यवस्था को ही धता बता कर मनमानी करते हुए भारी जुर्माना के रूप में रुपया 500 से भी अधिक वसूली करने में लगी रहती है काटे गए कई रसीद में दिनांक तक अंकित नही है जो निहायत ही अफसोस व दुर्भाग्यपूर्ण रवैया के साथ ही अमानवीय है। एक तरफ फुटपाथ दुकानदार को सरकार व्यवसाय करने हेतु बिना गारंटी ऋण देती है। अगर ऐसे में फुटपाथ दुकानवालो को बिना वैकल्पिक व्यवस्था के अतिक्रमण के नाम पर जबरन हटा देती है और भारी जुरमाना वसूल करती है तो सवाल उठता है। इस कोरोना काल मे परिवार के जीविकोपार्जन करना ही मुश्किल था, ऋण चुकती करना और नगरपरिषद की डर सताना, गाली और डंडा खाना और भारी जुरमाना आदि चारो तरफ से परेशान करने सिवा कुछ नहीं है। सईद नसीम ने इस संवेदनशील मामला को जिला व स्थानीय प्रशासन से निवेदन करते हुए कहा कि जब तक इन पीड़ित लोगों के लिए समुचित व्यवस्था न हो जाय इन्हें तब तक न हटाया जाय और तंग किया जाय। साथ ही अगर जिला प्रशासन इस संवेदनशील मामला को गम्भीरता से ले तो केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय के आदेशानुसार सन 2014 में अधिनियम बनाया है इसमें स्ट्रीट वेंडरों को एक सम्मानजनक जिंदगी देने को लेकर कई प्रावधान किये गए। उसी एक्ट के आधार पर पूर्व की रघुवर सरकार ने रांची में अटल स्मृति वेंडर मार्केट का निर्माण कराया है। जरूरत है ऐसे ही शहर के खाली पड़े जगहों को चिन्हित कर स्ट्रीट वेंडर मार्केट बनाने की ताकि फुटपाथों को सिर्फ उजाड़ा ही नही सके बल्कि सम्मानपूर्वक बेहतर जीवन जीने हेतु बसाया जा सके।

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