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छात्रों से फीस ऑनलाइन लेने और कार्यालय खोलने की मांग को लेकर पासावा ने सीएम को सौंपा ज्ञापन

  • निजी स्कूलों द्वारा फीस लेने मामले में मुख्यमंत्री लें ठोस निर्णय-तौफ़ीक़ हुसैन

कोडरमा। झारखंड राज्य में निजी स्कूलों द्वारा लॉक डाउन की अवधि में फीस वसूली से मुक्ति दिलाने के मामले का ठोस फैसला अब राज्य के मुख्यमंत्री को लेनी चाहिए। झारखंड स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग इससे संबंधित प्रस्तावों को मुख्य सचिव के माध्यम से मुख्यमंत्री को भेज चुका है। जिसमें लॉक डाउन की अवधि में केवल ट्यूशन फीस लेने की बात कहीं गई है। उक्त बातें प्राइवेट स्कूल्स एंड चिल्ड्रन वेलफेयर के प्रदेश सचिव तौफ़ीक़ हुसैन ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कही। उन्होंने कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश से भी मुख्यमंत्री को अवगत कराया गया है। दिल्ली हाईकोर्ट ने निजी स्कूलों की ट्यूशन फीस लेने से रोक लगाने से इनकार किया है। दिल्ली हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा है कि ऑनलाइन पढ़ाने में शिक्षकों को कक्षा से भी ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। इसलिए कोर्ट ने भी निजी स्कूलों के शिक्षण शुल्क पर रोक लगाने से याचिका को खारिज कर दी है। दिल्ली सरकार के साथ-साथ देश के कई राज्यों के सरकार ने भी ट्यूशन फीस लेने की अनुमति दे दी है। प्राईवेट स्कूल्स एंड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन के प्रदेश सचिव तौफीक हुसैन नें ईमेल के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा है। ज्ञापन में कहा है कि शिक्षा मंत्री द्वारा की गई अपील व बयान अव्यवहारिक और विचारणीय है। झारखंड राज्य में हजारों निजी स्कूल्स है जिनमें लाखों शिक्षकों, शिक्षिकाओं एवं कर्मचारी कार्य करते हैं। साथ ही उनके परिजनों का जीवन यापन भी विद्यालय द्वारा दिए गए वेतन पर निर्भर करता है तथा निजी विद्यालयों को इस कोविड 19 महामारी के उपरांत सुचारू रूप से संचालित करने के लिए कई समस्याओं का सामना भी करना पड़ रहा है जैसे – शिक्षकों,शिक्षिकाओं,कर्मचारियों का वेतनों का भुगतान,किराए पर चल रहे निजी विद्यालयों के भवनों का किराए का भुगतान, बिजली,पानी, टेलीफोन का बिल,विद्यालय वाहनों/बसों का ई एमआई (लोन),इंश्योरेंस फिटनेस टैक्स,ईएसआईसी,पीएफ, टीडीएस इत्यादि का भुगतान कई समस्याएं हैं। जिसका झारखंड सरकार द्वारा शीघ्र ही समाधान की जानी चाहिए। देश के विकास में निजी विद्यालयों की अहम भूमिका रही है। जो इस महामारी में शिक्षकों कर्मचारियों की भुखमरी के साथ साथ सरकार की दोहरी नीति का भी शिकार हो रही है। एक तरफ सरकार निजी विद्यालयों के अभिभावकों को फीस न जमा करने की अपील कर रही है। वहीं दूसरी ओर 22 मई से केंद्रीय विद्यालय जो भारत सरकार के अंतर्गत आता है उनसे अप्रैल-मई-जून 3 महीने की मासिक शुल्क जमा करने की नोटिस जारी कर रही है। इसलिए सरकार अभिभावकों को बिना दबाव के विद्यालयों में विद्यार्थियों के शुल्क भुगतान का ऑनलाइन करने व विद्यालय कार्यालय खोलने की अनुमति दी जाए ।

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