लॉक डाउन : कोरोना पर 21 कवितायें संजीव समीर का काव्य संग्रह अब अमेजन पर भी उपलब्ध Jharkhand Koderma by Ravi - April 12, 2020April 12, 20200 कोडरमा। लॉक डाउन के दिनों में हर कोई घर पर रहकर कुछ ना कुछ नया करने की कोशिश में है। कोई कविता लिख रहा है, कोई पेंटिंग तो कोई अन्य रचनात्मक कार्य कर रहा है। कोडरमा के सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार संजीव समीर इन दिनों पुस्तकें लिखने में व्यस्त हैं। इस अवधि में उन्होंने लॉक डाउन : कोरोना पर 21 कवितायें लिखी जो अब अमेजन पर भी ऑनलाइन उपलब्ध है। लेखन में गहरी रूचि रखने वाले संजीव समीर की कई कवितायें और लघु कथाएं विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। मीडिया संवाद, एक्सेलेंस अवार्ड के साथ ही वे झारखंड मीडिया फेलोशिप से सम्मानित हुए है। सम्प्रति रांची से प्रकाशित हिंदी दैनिक के समन्वय सम्पादक हैं। घर पर रहते हुए पत्रकारिता के अलावा वे लेखन कार्य कर रहे हैं। इस काव्य संग्रह में उन्होंने कोरोना को लेकर लोगों को संदेश देने का भी काम किया है। पहली कविता में ही उन्होंने लिखा है- कोरोना से डरो ना कोरोना से नहीं है रोना इससे डरो ना घर में ही रहो ना बाहर फिरो ना भीड़ में घिरो ना मास्क से मुंह को ढको ना चंद दिनों की है बात सोशल डिस्टेंसिंग करो ना. वहीं लॉक डाउन पर सीधे शब्दों में लोगों को बाहर निकलने से परहेज करने की अपील करते हैं। संजीव ने लिखा है- लॉक डाउन है, लॉक डाउन है सडकें सूनी, गलियाँ शांत हाटें बंद बाजारें बंद, सन्नाटे में शहर व गांव हैं, लॉक डाउन है, लॉक डाउन है। मंदिर, मस्जिद, चर्च न जाएं, घर पर रहकर समय गुजारें, कहीं नहीं अब चौपाल लगाएं लॉक डाउन है, लॉक डाउन है। काव्य संग्रह में कोरोना वारियर्स को सम्मान देने की अपील भी की जाती है, तो वहीं एक कविता – पूरी दुनिया डोल रही है, कोरोना कोरोना बोल रही है – अभी लोगों की स्थिति का बयान करती है। कोरोना पर हाइकू, कोरोना का डर, वुहान का संदेश, कोरोना के साइड इफेक्ट, शहर में हुआ हड़कम्प आदि शीर्षकों की कविताएं भी इस पुस्तक में है। इस वैश्विक त्रासदी पर चर्चा करते हुए वे विश्वास भी दिलाते हैं कि जीत हमारी ही होगी। अंतिम कविता में वे कहते हैं- कोरोना हारेगा, हम जीतेंगे वैश्विक त्रासदी और मंदी लाखों मौत, करोड़ों पीड़ित कई की गयी नौकरी कई की छीनी रोटी सदियों की इस जंग ने मानव को लाचार बताया. पर, हम हारेंगे नहीं पहले भी कई दौर थे आये जिस पर हमने विजय पाए माना, पैरों पर मीलों चले थक हार गये हम भूख के मारे पर वह समय भी आयेगा फिर विजय पताका छाएगा कोरोना हारेगा, हम जीतेंगे देश जीतेगा, सब जीतेंगे.. संजीव समीर ने बताया कि वह इस काव्य संग्रह के बाद अब झुमरीतिलैया पर एक शहर हजार अफसाने नाम की पुस्तक पूरा कर रहे हैं, वही इसके साथ लघु कथाओं के संग्रह पर भी काम कर रहे हैं।