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LOCKDOWN- में घरेलू महिलाएं भी लिख रही उम्दा कविताएं,नीलम महर्षि नें विश्वामित्र को पुकारा

“विश्वामित्र फिर से आ जाओ”

“विश्वामित्र फिर से आ जाओ” कहीं हो न जाए यज्ञ विध्वंस। जग को त्राण दिला जाओ……….


ले कर राम – लक्ष्मण को संग विश्वामित्र फिर से आ जाओ
.…….


हो रहा आज यज्ञ, मानव संततियों के हित निहितार्थ
दी जा रही है श्रद्धा से आहुति, जनकल्याण परमार्थ
वर्तमान के मारिच, सुबाहू ने फिर खोल दी है आंखें
कुकृत्यों का खेल रचा कर, बढ़ा रहे हैं अपनी साखें
बुराई पर होती सदा अच्छाई की जीत, ये मर्म बता जाओ


ले कर राम – लक्ष्मण को संग। विश्वामित्र फिर से आ जाओ…….


त्रेता, द्वापर, कलिकाल की ये त्रासदी सर्वकालिक है
चला आता है फिर बचाने, वो जो सबका मालिक है
निर्विघ्न जारी रहे ये यज्ञ, अटल विश्वास की वेदी पर
अंत निश्चित है असुर का,आस्था भरी बलि वेदी पर
दोधारी वार से है सामना, साहस में प्राण फूंकने आ जाओ


ले कर राम – लक्ष्मण को संग। विश्वामित्र फिर से आ जाओ…..

नीलम महर्षि, झुमरीतिलैया
कोडरमा

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