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नए साल में स्कूल खोलने की घोषणा नही हुई तो राज्यव्यापी शिक्षा आंदोलन होगा- तौफीक हुसैन

इन सवालों का जबाब चाहती है PSACWA

निजी विद्यालयों को पुनः संचालित करने हेतु देर क्यों ?

बच्चो के भविष्य के साथ खिलवाड़ क्यों ?

क्या शिक्षकों को रोजगार हेतु पलायन का है उद्देश्य ?

केंद्र सरकार के निजी विद्यालयों को पुनः संचालित करने आदेश के उललंघन के पीछे क्या है मंशा ?

कोडरमा : प्राइवेट स्कूल खुलवाने के लिए झारखण्ड राज्य के सभी जिलों में एक दिवसीय सत्याग्रह, शांति मार्च,धरना प्रदर्शन प्राइवेट स्कूल्स एंड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन के बैनर तले हो चुके है। PASCWA के प्रदेश सचिव तौफीक हुसैन ने झारखण्ड सरकार के निजी विद्यालयों के तरफ उदासीन रवैया पर सवाल खड़ा किया है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के निजी विद्यालयों को पुनः संचालित करने आदेश के उल्लंघन के पीछे राज्य सरकार की आखिर मंशा समझ से परे है। बच्चो के भविष्य के साथ कोरोना के नाम पर खिलवाड़ हो रहा। जब पढ़ेगा नही, झारखण्ड तो आगे बढ़ेगा कैसे।

अनलॉक गाइडलाइन्स के तहत सिनेमा हॉल,धार्मिक स्थल,यातायात,सभी दुकाने तथा सभी कार्यालयों को पुनः संचालित कर दिया गया है। परन्तु विद्यालयों को पुनः संचालित करने पर सरकार के द्वारा पाबन्दी नहीं हटाई गयी है !

यह बताना भी उचित है की इन्ही निजी विद्यालयों में सरकार कोरोना काल से ले कर आज तक लगातार परीक्षाओ का आयोजन करवा रही है और उन परीक्षाओ के आयोजन के लिए परीक्षार्थियों से पंजीकरण के नाम पर मोटी रकम भी वसूल रही है। परन्तु किसी भी निजी विद्यालयों को एक फूटी कौड़ी भी नहीं दी जा रही है और बेशर्मी से मुफ्त में सभी निजी विद्यालयों के भवनों को इन परीक्षाओ को संचालित करवाने में इस्तेमाल किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को जबाब देना चाहिए कि क्या कोरोना के कारण सिर्फ निजी विद्यालयों के शिक्षण कार्य ठप करना है। अगर सभी सार्वजनिक क्षेत्र खुले है, तो फिर निजी स्कूल बंद क्यो है।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के इस उदासीन रवैया को देखते हुए अब निजी विद्यालयों के संचालक,शिक्षक, शिक्षिकाएं एवं कर्मचारीगण राज्य व्यापी आंदोलन करने के लिए बाध्य हो गए है।

यदि 02 जनवरी 2021 के पहले विद्यालयों को संचालित करने हेतु आदेश पारित नहीं किया गया तो सभी 24 जिला के निजी विद्यालय संचालक,शिक्षक,शिक्षिकाएं एवं कर्मचारी विशाल आंदोलन करने राँची आ जाएंगे जिसकी पूरी जिम्मेदारी राज्य सरकार एवं शिक्षा विभाग की होगी!

क्या सरकार किसान आंदोलन की तरह शिक्षा आंदोलन के लिए शिक्षकों एवं शिक्षिकाओं को बाध्य करना चाहती है ?

बताते चले की प्राइवेट स्कूल्स एंड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सैयद शमायल अहमद ने आठ सूत्री मांगो पर माननीय प्रधानमंत्री को दो लाख ईमेल भेजवाया था साथ ही राष्ट्रीय अध्यक्ष के मार्गदर्शनानुसार पासावा प्रदेश अध्यक्ष आलोक दुबे और प्रदेश सचिव तौफीक हुसैन द्वारा माननीय मुख्यमंत्री,शिक्षा मंत्री, शिक्षा सचिव के साथ-साथ जिलों के उपायुक्त,विधायक,सांसद सभी पार्टियों के प्रतिनिधि अध्यक्ष को भी कई पत्र भेजे गए थे परन्तु कही भी कोई सकारात्मक निष्कर्ष नहीं निकला!
अब सभी 24 जिले के निजी विद्यालय संचालक , शिक्षक,शिक्षिकाएं एवं कर्मचारीगण संघठन के बैनर तले झारखण्ड राज्य सरकार के खिलाफ राज्य व्यापी शिक्षा आंदोलन करने के लिए विवश हो चुके है!

प्राइवेट स्कूल्स एंड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन झारखण्ड राज्य सरकार से पाँच सूत्री मांग करती है जो निम्नलिखित है : –
1. केंद्र सरकार के पत्रांक के आलोक में निजी विद्यालयों को संचालित करने का आदेश अविलम्ब पारित किया जाये !
2. राज्य सरकार निजी विद्यालयों का सभी टैक्स की राशि को माफ़ करने हेतु उचित दिशानिर्देश पारित करें।बिजली का बिल, ट्रांसपोर्ट में लगने वाले विभिन्न प्रकार के टैक्स को माफ किया जाए एवं बैंक के ईएमआई पर लगने वाले ब्याज को नहीं लिया जाए!
3. सभी निजी विद्यालयों के भवनों का किराया माफ़ करने हेतु उचित दिशानिर्देश जारी करने की कृपा करे!
4. निजी विद्यालयों को पुनर्स्थापना हेतु उचित पैकेज की घोषणा की जाये ताकि लाखों शिक्षक,शिक्षिकाओं एवं कर्मचारियों का भविष्य अंधकार में जाने से बच सके साथ ही विद्यार्थियों को भी शिक्षा का लाभ निरंतर मिल सके!
5. सरकारी स्कूलों में प्रति बच्चा प्रतिमाह खर्च के आधार पर प्रत्येक प्राइवेट स्कूलों को उसके बच्चों की संख्या अनुसार विद्यालय अकाउंट में एक वर्ष का विशेष आर्थिक सहायता राशि उपलब्ध कराने का प्रावधान बनाकर अतिशीघ्र सहायता राशि सभी निजी विद्यालयों को उपलब्ध कराने का कष्ट करें।

-लेखक-तौफीक हुसैन, psacwa के प्रदेश सचिव है।

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