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झारखंड के साथ हो रहा छल, जागे जनमानस : संजय मेहता

झारखंडी स्थानीय मुद्दों को लेकर कोडरमा में उमड़ा जनसैलाब

बदलाव संकल्प महासभा से परिवर्तन की हुंकार

स्थानीयता, पुनर्वास निति, विस्थापन नीति एवं जनसमस्याओं को लेकर बदलाव संकल्प महासभा का आयोजन झारखंडी भाषा खतियान संघर्ष समिति के बैनर तले किया गया। यह समिति पुरे झारखण्ड में जनमुद्दों को लेकर सभाएं कर रही है और लगातार जन जागरूकता अभियान चला रही है।साथ ही यह

झारखंड के 81 विधानसभा और 14 लोकसभा सीटों पर स्थानीय झारखंडी को सांसद, विधायक बनाने के लिए लालायित है।

महासभा में झारखंड के कोडरमा, चतरा, हज़ारीबाग, गिरिडीह, लोकसभा के कार्यकर्ता और आम लोग पहुँचे। साथ ही सभी विश्वविद्यालयों से हजारों छात्र, नौजवानों ने भाग लिया। सभी ने एक स्वर में कहा कि झारखंड एक और इंकलाब मांग रहा है। महासभा की शुरुआत से पहले सुभाष चंद्र बोस के प्रतिमा पर माल्यार्पण कर नमन किया गया। जिसके बाद वक्ताओं ने अपनी-अपनी बातों को रखा।

झारखंड को एक नए बदलाव की है जरूरत : संजय मेहता

इस दौरान लंबे समय से झारखंडी मुद्दों पर मुखरता से अपनी आवाज बुलंद कर रहे बरही विधानसभा के पूर्व प्रत्याशी सह सोशल एक्टिविस्ट संजय मेहता ने महासभा में उपस्थित जनसमूह को संबोधित किया।

संजय मेहता ने कहा कि झारखंड को एक नए बदलाव की जरूरत है। झारखंड अपने निर्माण के 22 सालों के बाद भी आज शोषण से मुक्त नहीं हुआ है। राज्य की नौकरशाही ने इस राज्य को सिर्फ लूटा है। साथ ही यहाँ के नेताओं ने भी सिर्फ अपनी तिजोरी को भरा है। संजय मेहता ने कहा कि झारखंड की स्थानीय नीति, नियोजन नीति, पुनर्वास नीति में कोई स्पष्टता नहीं है। झारखंडी की पहचान आज तक परिभाषित नहीं हो पायी है। स्थानीय नीति को झारखंडी भावनाओं के अनुरूप परिभाषित करने की जरूरत है।

स्थानीय नीति पर क्या कहा

संजय मेहता ने स्थानीय नीति पर कहा कि 1932 के पहले और 1964 के बाद जिला का अंतिम सर्वे का खतियान ही झारखंड की स्थानीयता का आधार होना चाहिए। जब तक खतियान को स्थानीयता का आधार नहीं बनाया जाएगा बाहरी अतिक्रमण से झारखंड को बचाना मुश्किल है। हमारी नौकरी और जमीन को लगातार संस्थागत तौर पर लूटा जा रहा है।

नियोजन नीति का क्यों है विरोध, क्या है तर्क

संजय मेहता ने कहा कि ज्ञात हो कि पिछली सरकार से पहले नियुक्तियों में 50 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान था। लेकिन, इसमें ईडब्लूएस के तहत सवर्णों का आरक्षण जुड़ जाने के बाद यह 60 प्रतिशत हो गया।

ऐसे में 60 प्रतिशत सीटों पर नियुक्तियां झारखंड के आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों की होंगी। वहीं 40 प्रतिशत सीटें ‘ओपन टू ऑल’ है। अर्थात कोई भी आवेदन कर सकता है। इसका मतलब यह हुआ कि केवल 60 प्रतिशत आरक्षित सीटें ही ऐसी हैं, जिन पर झारखंड के ही अभ्यर्थियों की नियुक्ति होनी है। बाकी के 40 प्रतिशत सीटों पर किसी भी राज्य के युवा झारखंड में रोजगार पा सकते हैं। ऐसे में झारखंड के छात्रों की प्रतिस्पर्धा भी बढ़ जाएगी। परंतु यहाँ एक पेंच यह भी है कि झारखंड में झारखंडी होने की परिभाषा ही तय नहीं है। ऐसे में कहने को यह नीति 60 और 40 की नीति है। ऐसे में खतरा सौ प्रतिशत सीटों पर है।

गहनता से अध्ययन करने पर स्थिति और भयावह नजर आती है। झारखंड का हाल जिस तरीके से है, जिस रूप में झारखंडी लोगों के साथ छल होता आया है। कई दूसरे राज्य के निवासियों ने भी स्थानीय निवासी प्रमाण पत्र बना लिया है। ऐसे में सौ प्रतिशत सीटों पर इस तरह बाहरी लोग कब्जा करने की कोशिश करेंगे। जिससे झारखंड के लोगों का हक मारा जाता रहेगा।

क्या है मांग

संजय मेहता ने कहा कि झारखंड में भी बिहार की तरह नियोजन नीति लागू हो। बिहार पुनर्गठन अधिनियम 2000 की उपधारा 85 के तहत झारखंड सरकार के पास भी यह हक है कि संयुक्त बिहार के समय का कोई भी अधिनियम, संकल्प या गजट को अंगीकृत कर सकते हैं। इसी के तहत 1982 की नियोजन नीति को अंगीकृत कर बिहार की तर्ज पर झारखंड में भी नियोजन की प्रक्रिया शुरू की जानी चाहिए।

साथ ही नियुक्ति फॉर्म भरते समय अभ्यर्थी को अपने स्थानीय प्रमाण पत्र की क्रमांक संख्या लिखनी जरूरी की जाए। इसके तहत सारी सच्चाई निकलकर सामने आ जाएगी कि अभ्यर्थी कहां का खतियानी है। साथ ही, मांग यह भी है कि जनसंख्या के अनुपात में सभी वर्गों के लिए जिला स्तर पर आरक्षण लागू किया जाना चाहिए।

विस्थापन को लेकर भी बोले

विस्थापन के बाद पुनर्वास की स्पष्ट नीति नहीं और कंपनियों के द्वारा जमीनों की लूट को लेकर संजय मेहता ने कहा कि इस मुद्दे पर भी सरकार को गंभीर होना होगा। यह झारखंड का एक गंभीर विषय है।

ओबीसी को मिले 27 प्रतिशत का आरक्षण

ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण विधेयक को राज्यपाल द्वारा वापस किए जाने पर संजय मेहता ने कहा कि राज्यपाल महोदय को भी झारखंडी जनभावनाओं पर चिंतन करना चाहिए और यहाँ की बुनियादी माँगों पर कानून बनाने में सहयोग करना चाहिए।

क्या – क्या रहे मुख्य मुद्दे

छात्रों की छात्रवृति में हो रही देरी, सीओ के द्वारा म्यूटेशन में पैसे लेने की शिकायत, कोडरमा केंद्रीय अस्पताल को शुरू करना, अभ्रख पत्थर कारोबार को कानूनी तौर पर शुरू करना, केटीपीएस के लोगों को हक़, गोंदलपूरा आंदोलन को समर्थन, बाँझेडीह मजदूर आंदोलन को समर्थन, बरही टोल प्लाजा मजदूर आंदोलन को समर्थन, मांडु बूढाखाप आंदोलन को समर्थन, बरही जियाडा भूमि पर कंपनियों द्वारा फैल रहे प्रदूषण के खिलाफ आवाज, गोला में ट्रांसपोर्टिंग के कारण फैल रहे प्रदूषण के खिलाफ आवाज, विभावि में छात्रों की परेशानी, छात्रों पर लाठीचार्ज की निंदा, बरही-चंदवारा एनएच 31 में पेड़ो की कटाई पर रोपण नहीं, चोरदाहा से गोरहर तक सड़क निर्माण में हो रही देरी, चौपारण फ्लाईओवर निर्माण में तेजी, सरना धर्म कोड़ पर केंद्र की चुप्पी, एनटीपीसी से नेताओं की सांठगांठ, टोल प्लाजा मदनगुंडी के चालू होने पर फ्री करवाना, जेटेट ले सरकार आदि मुद्दों को चर्चा में लाया गया।

कोडरमा की जन समस्याओं को दूर करे सरकार

संजय मेहता ने कहा कि कोडरमा लोकसभा क्षेत्र सहित आस पास के इलाकों में जन समस्याओं का अंबार है। जिला प्रशासन व सरकार को इसपर ध्यान देने की जरुरत है। इसके अलावा क्षेत्र के अभ्रक कारोबार और पत्थर कारोबारियों की जो दिक्कतें हैं उसे दूर किया जाये। जो भी क़ानूनी प्रक्रिया है उसे निपटाकर इस कारोबार को चालू किया जाना चाहिए। क्यूंकि इससे एक बहुत बड़ी अर्थव्यवस्था प्रभावित हो रही है। संजय ने कहा की कोडरमा केंद्रीय अस्पताल को शुरू किया जाए।

करियावां में भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया को कानूनी तौर पर पूरा किया जाए।

बाँझेडीह प्लांट से निकल रहे राख से फैल रहे प्रदूषण को रोका जाए। इसके ट्रांसपोर्टेशन को सही तरीके से किया जाए क्योंकि प्रदूषण फैल रहा है।

इस दौरान जयराम महतो ने भी सभा को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि झारखंड को बचाने की लड़ाई सबको मिलकर लड़नी होगी। झारखंड आज एक ऐसे रास्ते पर खड़ा है जहां से एक नए शुरुआत की जरूरत है। हमारी माटी के साथ छल इतना अधिक कर दिया गया है कि अब पूरा झारखंड जाग चुका है। यह आंदोलन अब नहीं रुकेगा। उन्होंने कहा कि झारखंड में एक बड़े बदलाव को लेकर हम सभी संकल्पित हैं। झारखंड के युवा जाग चुके हैं। अब यहाँ परिवर्तन होकर रहेगा।

सभा में देवेंद्र महतो, मोतीलाल महतो, दिनेश साहू, आर रतन इत्यादि लोग सम्मिलित हुए और संबोधित किया।

सभा को सफल बनाने में प्रेम नायक, सुधीर कुमार राम, डॉ राजेश, अजय राणा, श्री राम, चंदन कुमार, नवीन चंद्रवंशी समेत सैकड़ों लोगों का सराहनीय योगदान रहा।

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