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बागे अल्ट्रासाउंड में छापेमारी,ख़ौफ़जदा रहे जांच घर और अल्ट्रासाउंड संचालक

कोडरमा। झुमरीतिलैया के डॉक्टर गली और रजगढ़िया रोड में मरीजों की मंडी लगती है ! इन मंडियों में केवल मुनाफ़ा कमाने के उद्देश्य से क्लीनिक और अल्ट्रासाउंड क्लीनिक संचालित होते है ! अब ये क्लीनिक और अल्ट्रासाउंड नियम कानून के दायरे में रहकर कितने संचालित होते है, ये भगवान जाने या ना जाने। लेकिन बुधवार को रजगढ़िया रोड में पसरा सन्नाटा ये ईशारा कर रहा था कि सब कुछ ठीक ठाक नही है। बागे अल्ट्रासाउंड डाइग्नोस्टिक सेंटर में छापेमारी साढ़े 9 बजे के करीब मारी गयी। लेकिन इसकी खबर बाज़ार में जैसे ही फैली, दूसरे अल्ट्रासाउंड केंद्र में कहीं ताला लटका पाया गया तो कहीं शटर पर बंद की सूचना। यही नही कई खून, पेशाब जांच घर में भी ताला लटका रहा। पत्रकारों के सवालों से ज्यादा जिज्ञासा अल्ट्रासाउंड संचालकों को जांच टीम का वहाँ से निकलने का सूचना/संकेत को लेकर था। यही नही दो क्लीनिक संचालक भी सीएस को ढूंढते ढूंढते बागे पहुंचे,लेकिन बिना मिले ही बागे का नज़ारा देख उल्टे पैर निकल गए। ख़ौफ़,डर, भय जिस नाम से पुकारें सब एक है और यही ख़ौफ़ के कारण रजगढ़िया रोड में रोज मरीजो की संख्या से गुलजार रहने वाला इलाके में सन्नाटा के रूप में पसरा था। ख़ौफ़ज़दा संचालकों के चेहरे पर दिनभर ललाट पर लकीरे बनी रही, जो लगभग 4 बजे के बाद लकीरे मिटती दिखीं। अल्ट्रासाउंड क्लीनिक पर छापेमारी जब भी होती है, इस इलाके में सन्नाटा पसर जाता है। प्रशासन की माने तो कोडरमा जिले में लिंगानुपात लगातार कम हो रहे, जिसकी मुख्य वजह लिंग निर्धारण भी है। अब लिंग परीक्षण तो अल्ट्रासाउंड केंद्र में ही हो सकता है, तो सरकार ने नकेल कसना शुरू कर दिया है। कार्यपालक दंडाधिकारी संतोष सिंह की माने तो आनेवाले दिनों में इस तरह की छापेमारी आगे भी जारी रहेगी। अब देखना होगा कि अगली बारी किस अल्ट्रासाउंड केंद्र की आती है।

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