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संजय पासवान ने क्यो कहा मजदूरों को श्रम कानून से बाहर करने की हो रही साज़िश

झुमरीतिलैया : मोदी सरकार – 2 के द्वारा संसद मे पेश किए गए लेबर कोड बिल के खिलाफ दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों तथा श्रमिकों एवं कर्मचारियों के स्वतंत्र फेडरेशनों की संयुक्त मोर्चा के देशव्यापी आह्वान पर सीटू, एक्टू और एटक के संयुक्त बैनर तले कला मंदिर से झंडा चौक तक विरोध मार्च निकाला गया और मजदूर विरोधी विधेयक के खिलाफ कड़ी आपत्ति दर्ज कर केंद्र सरकार द्वारा श्रम कानूनों के प्रस्तावित संशोधन को वापस लेने की मांग की।
 विरोध मार्च मे मजदूर कर्मचारी विरोधी सरकार मुर्दाबाद, काला कानून लेबर कोड बिल वापस लो, न्यूनतम वेतन 18 हजार करना होगा, काम के घंटे के साथ छेड़ छाड़ बंद करो, नौकरी और बोनस की रक्षा करना होगा आदि नारे लगाये जा रहे थे। झंडा चौक पर रमेश प्रजापति की अध्यक्षता मे हुई सभा का संचालन मीरा देवी व धन्यवाद ज्ञापन पूर्णिमा राय ने किया। सभा को सम्बोधित करते हुए सीटू राज्य कमिटी सदस्य संजय पासवान ने कहा कि संविधान की समवर्ती सूची में प्रदत्त राज्यों के  क्षेत्राधिकार को अनदेखी करते हुए केंद्र सरकार ने असंवैधानिक तरीके  से मोदी सरकार ने लोकसभा में ‘लेबर कोड ऑन वेजेज बिल’ एवं हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशन कोड बिल 2019 को लोकसभा में पेश किया है और मजदूर संगठनों द्वारा उठाए गए सभी विरोध को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया। सरकार द्वारा किए गए दावे के विपरीत, इस प्रस्तावित बिल के कारण मौजूदा कानूनों से मिलने वाले लाभों से श्रमिकों को वंचित करके मजदूरों के बड़े हिस्से को श्रम कानून के दायरे से बाहर कर दिया जाएगा। सीटू नेता ने कहा कि वेतन दोनो विधेयक पूंजीपति वर्ग के हित मे है और उन सभी अधिकारों की जगह लेगा, जिन्हें मजदूरों ने लंबे वर्षों के संघर्ष से हासिल किया है। श्रमिकों के अधिकारों और सुरक्षा से संबंधित सभी प्रावधानों को पूरी तरह से छेड़छाड़ करने के माध्यम से सरकार अपने कॉर्पोरेट आकाओं की सेवाओं की प्रक्रिया में श्रमिकों के अधिकारों में भारी कटौती करना चाहती है। एक्टू के जिला संयोजक विजय पासवान  ने कहा कि न्यूनतम मजदूरी प्रतिदिन 178 रु. या 4628 रु. मासिक प्रस्तावित है, जबकि मजदूर वर्ग कई सालों से 18,000 रु. मासिक न्यूनतम वेतन की मांग कर रहे है। नये कानून में काम के 8 घंटे से बढ़ा दिये गये हैं और ओवर टाईम की कोई समय सीमा नहीं है इसलिए यह मजदूर विरोधी बिल का चौतरफा विरोध होगा। एटक नेता प्रकाश रजक एक सीटू नेता रमेश प्रजापति ने कहा कि इस विधेयक के पास होने से 13 श्रम कानूनों को निरस्त कर देगा। जो सरकारी गैर सरकारी, कारखाने, माइंस, बीड़ी, निर्माण, पत्रकारों और समाचार पत्रों के मजदूर कर्मचारियों के पेशों से संबंधित सेवा शर्तें की पहलुओं का ध्यान रखता था. सरकार की इस मजदूर विरोधी नीतियों का पुरजोर विरोध करना होगा।  विरोध मार्च के माध्यम से ट्रेड यूनियनों के नेताओं ने लोकसभा और राजसभा के सभी सांसदों से आग्रह किया कि वे केंद्र सरकार की इस अलोकतांत्रिक तरीकों का विरोध करें,  जिसके माध्यम से सामान्य विधायी प्रक्रिया को दरकिनार कर मजदूर विरोधी कानून लागू करना चाहती है। विरोध मार्च मे मीरा देवी, पूर्णिमा राय, प्रेम प्रकाश, महेन्द्र तुरी, बसमतीया देवी, गायत्री, रजनी कुमारी, गुड़िया देवी, पुनम देवी, गीता देवी, अशोक रजक, राजेन्द्र यादव, बिटु यादव, तुलसी राणा, नागेश्वर प्रसाद,  रामचन्द्र राम, रोहित दास, बब्लू रविदास, पिन्टु दास, नकुल शर्मा, रंजीत भारती, भूनेश्वर राणा, बिरजू शर्मा, सच्चीदानन्द पाण्डेय आदि शामिल थे।

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