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ऑनलाइन मल्टीब्रांड शॉपिंग ने रिटेलर कारोबार का किया बेड़ागर्क,ऑनलाइन लॉन्च व बिक्री से रिटेलर शॉप प्रभावित

कोडरमा। तकनीक का सकारात्मक और नकारात्मक दोनो ही असर होता है। ऐसा ही असर ऑनलाइन शॉपिंग और मल्टीब्रांड प्लेटफॉर्म पर प्रोडक्ट बेचने से रिटेलर सीधे तौर पर प्रभावित हो रहा। दरअसल मोबाइल सेक्टर के लाखों रिटेलर दुकानदार इन दिनों परेशान है। पहले इन दुकानदारो को जीएसटी ने परेशान किया। जीएसटी के बारीकियों को जबतक समझते, तबतक कोरोना काल मे बाजार ही धड़ाम से नीचे गिर गया। इन दोनों परेशानियों से निकलने की उम्मीद में फेस्टिवल का इंतज़ार कर रहे थे। लेकिन इन रिटेलरो को अब ऑनलाइन सेल,शॉपिंग और मल्टीब्रांड प्लेटफॉर्म कंपनी ने खासा मुश्किलो में डाल दिया है। फेस्टिवल मौसम में भी इन मोबाइल रिटेलर के चेहरों पर दूर दूर तक उम्मीद की चमक नही दिख रही। इन रिटेलरो के बदौलत कभी बाजार गिरता-उठता था, लेकिन अब ब्रांडेड कंपनी अपना माल ऑनलाइन बेचने के बाद रिटेलरों को देती है। जिससे रिटेलरों के पास मनचाहे चॉइस वाले ग्राहक नही पहुंच रहे। जाहिर सी बात है,इन रिटेलरों को प्रोडक्ट को बेचने में खासा मुश्किलो का सामना करना पड़ रहा। रिटेलरों के पास मार्केट डिमांड वाली प्रोडक्ट समय पर उपलब्ध नही हो पाती, इनके पास माल तब आती है,जब डिमांड कम होने लगता है। नतीजा इन रिटेलरों के पास प्रोडक्ट स्टॉक रह जाता है। प्रोडक्ट स्टॉक रहने से कंपनी इनपर काफी दबाब बनाती है। लेकिन व्यापार का आधार ही डिमांड और सप्लाई पर टिका है।

क्या है इसके पीछे की वजह

सरकार की नीति+कंपनी+मल्टीब्रांड शॉपिंग कंपनी के गठजोड़ ने रिटेलरों की ऐसी हालत में ला खड़ा किया है। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश(FDI) के कारण दुनियां भर की कंपनी भारतीय बाजार में अपना व्यापार फैला रही। अमेरिका, चीन, जापान, ताइवान जैसे देश इलेक्ट्रॉनिक उपकरण धड़ल्ले से ऑनलाइन बेच कर मुनाफा कमा रही। लेकिन ऑनलाइन का नुकसान रिटेलर भुगत रहें।

पहले प्रोडक्ट ऑनलाइन लॉन्च,फिर ऑनलाइन सेल

ऑनलाइन शॉपिंग के इस जमाने मे मोबाइल कंपनी अपनी नई प्रोडक्ट ज्यादातर ऑनलाइन लॉन्च कर ऑनलाइन बुकिंग और ऑनलाइन सेल कर देती है। ऑनलाइन में प्रोडक्ट की डिमांड घटते ही, प्रोडक्ट को रिटेलरों के हांथो में सेल बढ़ाने की जिम्मेवारी के साथ सौंप देती है। लेकिन रिटेलरों को जब प्रोडक्ट मिलती है, तब तक ना ऑफर काम आती है ना स्टोर तक ग्राहक।

क्या है रिटेलरों की मांग

इस मसले पर कोडरमा जिले के विभिन्न रिटेलरों से बात करने पर बताया कि ऑनलाइन शॉपिंग, मल्टीब्रांड शॉपिंग से कोई दिक्कत नही है। असली परेशानी की वजह सरकारी नीति, मोबाइल प्रोडक्ट कंपनी और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म मालिकों के बीच बनी गठबंधन है। यहां रिटेलर पीछे हो जा रहे। रिटेलर भी उसी कंपनी का प्रोडक्ट बेचते है। रिटेलर चाहते है कि कोई भी प्रोडक्ट लॉन्च होने के बाद ऑनलाइन या रिटेलर के पास एक समय मे उसी ऑफर के साथ बेचने के लिए उपलब्ध हो। ग्राहक ऑनलाइन या रिटेलर के पास कहीं भी खरीद सकें। लेकिन ऐसा नही हो रहा। प्रोडक्ट पहले ऑनलाइन बेची जा रही, बाद में मेनलाइन रिटेलर के माध्यम से बेची जा रही।

मोबाइल रिटेलरों को “लोकल को वोकल बनाने का “नारा महज छलावा दिख रहा-विक्की भदानी

झुमरीतिलैया के मोबाइल रिटेलर विक्की भदानी ने बताया कि मोबाइल सेक्टर के व्यापार को आगे बढ़ाने के लिए स्पष्ट नीति लाने की जरूरत है। विदेशी मोबाइल कंपनी ऑनलाइन मोबाइल बेचकर मालामाल हो रही, लेकिन देश के रिटेलर को व्यापार बढ़ाने के लिए डिमांड घटने पर प्रोडक्ट बेचने को दिया जा रहा। देश के करोड़ो मोबाइल रिटेलर इस नीति से परेशान है। लोकल को वोकल बनाने का नारा महज छलावा प्रतीक हो रहा। लोकल की आवाज़ बुलंद करनी है तो मोबाइल बेचने की एक पॉलिसी बनाना होगा। मौजूदा नीति से भारतीय बाजार पर विदेशी कंपनी या मल्टीब्रांड प्लेटफार्म का कब्जा हो जाएगा। करोड़ो रिटेलर बाजार से बाहर होकर बेरोजगारी के दंश झेलने को मजबूर हो जाएंगे।

सभी सेक्टर के रिटेलरों को एक मंच पर आकर लड़ाई लड़ने की जरूरत- भगत

ऑल इंडिया मोबाइल रिटेलर एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष राजन भगत ने बताया कि मोबाइल सेक्टर की बात करें तो नई मॉडल पहले ऑनलाइन बेच ली जाती है, फिर रिटेलर तक पहुंचाया जाता है। ये हाल केवल मोबाइल सेक्टर की नही है, सभी सेक्टर इस समस्या और चुनौती से जूझ रहे है। उन्होंने अपील किया कि सभी सेक्टर के व्यापारियों खासकर रिटेलरों को एकबद्ध होकर “जेपी आंदोलन” जैसा आंदोलन करने की जरूरत है।

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