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गांधी जी को राष्ट्रपिता की ख्याति से नेताजी ने नवाजा था-प्रियंका ओझा

कोडरमा। झुमरीतिलैया के आश्रम रोड स्थित कृष्णा निकेतन स्कूल परिसर में गुरुवार को नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी की जयंती बड़े धूमधाम से मनाई गई। इस कार्यक्रम में बच्चों ने बढ़-चढ़कर भाग लेकर नेताजी के जीवन पर प्रकाश डाला और शपथ लिया कि हम नेताजी के बताए हुए मार्ग पर चलकर देश के उन्नत विकास में अपना नाम अंकित करवाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए स्कूल के निदेशक नवनीत ओझा, समाजसेवी अरशद खान और भारत बक्शी ने नेता जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा की सुभाष चंद्र बोस जी का जन्म 23 जनवरी 1897 में उड़ीसा के कटक शहर में हुआ था। इनके पिता जानकीनाथ बोस प्रख्यात वकील थे और माता प्रभावती देवी बहुत धार्मिक महिला थी । आज पूरे देश में सुभाष जयंती बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाई जा रही है। उन्होंने कहा की तुम मुझे खून दो और मैं तुम्हें आजादी दूंगा इस कालजई जयघोष के प्रणेता सुभाष चंद्र बोस प्रखर राष्ट्रभक्त थे। अंग्रेजों से देशवासियों को मुक्ति दिलाने के लिए आजाद हिंद फौज की स्थापना करने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर आज हम सब गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। वहीँ स्कूल की प्रिंसिपल प्रियंका ओझा ने कहा कि सुभाष चंद्र बोस को नेताजी भी बुलाया जाता था, वह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रख्यात नेता थे इनके योगदान को देश कभी भुला नहीं सकता। श्रीमति प्रियंका ने कहा की नेताजी सुभाष चंद्र बोस 1920 में भारतीय प्रशासनिक सेवा के लिए चुने गए थे और देश में इन्होने चौथा स्थान हासिल किया था। जालियांवाला बाग के नरसंहार से व्याकुल होकर नेता जी ने 1921 में प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा देकर गांधी जी के नेतृत्व में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुए थे। महात्मा गाँधी को राष्ट्रपिता के ख़िताब से नेता जी ने ही नवाजा था। प्रियंका ने कहा कि नेता जी द्वारा आजाद हिंद फौज की स्थापना मुख्यतः जापानी सेना द्वारा अंग्रेजी फौज से पकड़े गए भारतीय युद्ध बंदियों को लेकर किया गया था, इसके बाद ही सुभाष को नेताजी कहा जाने लगा। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रियंका ने कहा कि इनकी मृत्यु आज भी विवाद का विषय है और भारतीय इतिहास का सबसे बड़ा संशय है।ऐसा माना जाता है कि 18 अगस्त 1945 में एक विमान दुर्घटना में इनकी मृत्यु ताइवान में हो गई थी परंतु उस दुर्घटना का कोई साक्ष्य आज तक नहीं मिल सका। इस अवसर पर स्कूल के शिक्षक शौर्य कुमार चौधरी, हर्ष गुप्ता, शिवम् पाठक, उदय कुमार, विक्रांत कुमार, शिक्षिका स्नेहा, रीना कुमारी, नेहा सिन्हा, बबिता सहित छात्र और छात्राएं मौजूद थे।

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