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लोकतंत्र के महापर्व में सीधे भागीदारी,पहले दिन दिव्यांग योगेंद्र ने खरीदा पर्चा

कोडरमा। 15 अगस्त 1947 को जब भारत ब्रिटिश हुकूमत की दास्ता से आजाद हुआ था तब किसने कल्पना की होगी कि संसदीय लोकतंत्र अपनाकर देश दुनिया की सबसे बड़ी चुनाव प्रक्रिया वाला राष्ट्र भारत बन जाएगा। भारतीय लोकतंत्र की खासियत यह है कि संविधान प्रत्येक नागरिक को अवसर प्रदान करती है। चुनाव लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है,जिसमे जनता अपने प्रतिनिधियों को चुनती है।

देश में दिव्यांगों की स्थिति किसी से छिपी नहीं है,न ही उनकी प्रतिभा पर संदेह किया जा सकता है। सामान्य व्यक्तियों की तरह उनके जीवन यापन और मूलभूत आवश्यकताओं संबंधी नीतियां बनती रहे तो उनमें और हिम्मत और कुछ करने की ललक पड़ेगी। लोकतंत्र में चुनाव अवसर प्रदान करता है, अपने मुद्दों को जनता तक ले जाने का। जिसपर जनता अपना निर्णय वोट देकर करती है। भिन्न भिन्न मुद्दों पर जनता की राय सर्वोपरि मानी जाती है। इसलिए लोग चुनाव में सीधे भागीदारी के लिए चुनाव लड़ते है। कोडरमा क्षेत्र से इसबार दिव्यांग ने नामांकन फॉर्म खरीदा है, जो चर्चा का विषय बना हुआ है।

झारखंड में पांच चरणों मे चुनाव संपन्न होंगें। कोडरमा में तीसरे चरण में चुनाव 12 दिसंबर को होंगे। 16 नवंबर से नामांकन प्रक्रिया शुरू हो गए। नामांकन के पहले दिन एकमात्र योगेंद्र पंडित ने कोडरमा जिले के कोडरमा विधानसभा से प्रतिनिधित्व करने के लिए विधानसभा निर्वाचन पत्र निर्वाची पदाधिकारी सह एसडीओ कार्यालय से खरीदा। आपको बतादे की योगेंद्र कुमार पंडित दिव्यांग है। दिव्यांग होने के बाबजूद चुनाव लड़ने को लेकर जोश से लबरेज़ है। लोकतंत्र के महापर्व में योगेंद्र का विश्वास ही लोकतंत्र को मजबूत बनाता है। योगेंद्र मूलतः चंदवारा प्रखंड के पुरनाथाम के रहने वाले है। उनके पिता लीलधारी पंडित है।

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