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डीसी रमेश घोलप अनाथ बच्चों के बने सहारा, पिता के बाद मां के मौत से 5 बच्चे हो गए थे बेसहारा

कोडरमा। कहतें है माँ-बाप भगवान का रूप होते है। लेकिन सर से पहले पिता और फिर माँ का साया उठ जाए तो फिर अपने भगवान को कहां और कैसे ढूढे ? हम बात कर रहे है, कोडरमा नगर पंचायत के छोटकी बागी में रहने वाले एक ऐसे परिवार की,जिसकी कहानी अपनी अलग दर्द बयां कर रही है। दरअसल 5 नाबालिक बच्चों के सर से 5 साल पहले पिता का साया सर से उठा था और अब गरीबी, बीमारी से जूझ रहे इस परिवार नें अपनी मां को भी खो दिया है। विधवा माँ की मौत से बच्चें अनाथ और बेसहारा हो चुके थे । आस पड़ोस के लोगों की मदद से बीमार माँ की मौत के बाद अंतिम संस्कार बीते दिन किया गया।

5 साल पहले पिता की हुई थी मौत

गरीबी का दंश झेल रहा यह परिवार एकसाथ आर्थिक तंगी और बीमारी के साथ लड़ रहा था। पति के मौत के बाद मृतक मालती देवी ही अपने 5 बच्चों का परवरिस किसी तरह से कर रही थी। मृतक मालती देवी जंगल से लकड़ी चुनकर घर परिवार चलाती थी। लेकिन कुछ महीने पहले लकवा मार दिया। पिछले दिनों बीमारी से पूरी तरह गिरफ्त में आने से बीमार मालती देवी ने ईलाज के लिए रिम्स, रांची ले जाने के दौरान दम तोड़ दिया। 5 साल पूर्व मृतक के पति लालदेव भुइयां की भी मौत बीमारी से हो गयी थी। अनाथ और बेसहारा हो चुके बच्चो में 18 साल का नरेश,15 और 13 साल की काजल और सुनीता के साथ 11 साल की अनिता और 9 साल का विकास है।

सूचना मिलते ही जिला प्रशासन पहुंचा छोटकीबागी

छोटकी बागी इलाके के रहने वाले इस परिवार के बारे में जिला प्रशासन को जब पता चला तो प्रशासन फौरन मृतक के घर पहुंच गए। तंग गलियों के रास्ते डीसी रमेश घोलप,डीडीसी आलोक त्रिवेदी समेत वरीय पदाधिकारियों नें अनाथ हो चुके बच्चों को हर संभव मदद का ना केवल भरोशा दिया,बल्कि ऑन स्पॉट कई तरह के सरकारी योजनाओं का लाभ भी दिया।

डीसी अभिभावक बन बच्चों का कराया नामांकन

डीसी रमेश घोलप ने गरीबी और अभाव में जीवनयापन करने वाले अनाथ हो चुके इन बच्चों के लिए सरकारी मदद ऑन स्पॉट दी। जिसके तहत 3 बच्चियों का सीधे कस्तूरबा विद्यालय में नामांकन और 1 बच्चे का समर्थ आवासीय विद्यालय में नामांकन कराने की प्रक्रिया तुरंत पूरी कर ली गयी। वहीं पारिवारिक लाभ के तहत 20,हज़ार रुपये दिए गए। साथ ही जिला प्रशासन के पदाधिकारियों की ओर से व्यक्तिगत रूप से 10,हज़ार रु नगद दिया गया। साथ ही समेकित बाल संरक्षण योजना के तहत तीन बच्चियों को प्रतिमाह दो-दो हज़ार रुपये का भुगतान तीन साल तक किया जाएगा।

इन बच्चों को मोटिवेटेड कर आगे बढ़ाने की जरूरत-रमेश घोलप, डीसी, कोडरमा

डीसी रमेश घोलप ने कहा कि अनाथ हो चुके इन बच्चों के लिए विभिन्न सरकारी योजनाओं के माध्यम से परिवार को संरक्षित,शिक्षित और सुरक्षित रखने में आवंटित किया जा रहा। साथ ही कहा कि रहने, खाने, पढ़ने और स्वास्थ्य को लेकर 18 सालों तक इनलोगों को कोई परेशानी नही होगी। उन्होंने बच्चों से पढ़ाई करने की अपील किया। साथ ही कहा कि मोटिवेटेड कर इनलोगों को अब आगे बढ़ाने की जरूरत है।

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