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आदिवासियों का योगदान अविस्मरणीय- रविंद्र शांडिल्य

कोडरमा: आदिवासियों का भारतवर्ष के इतिहास मे अविस्मरणीय योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। जब दुनिया में आधुनिक जीवन शैली पैदा नहीं हुआ था,तब से आदिवासियों ने दुनिया को इस धरती पर जीने का सबक सिखाया। प्रकृति के नियमों को समझाया उनके पास कोई किताब नहीं थी वह प्रकृति से सीखकर सामाजिक पारंपरिक जीवन की संरचना किया प्रकृति ही उनके गुरु थे जंगलों में पहाड़ पर्वत धरना नदी पेड़ पशु आदि में उनकी आत्माएं बसती है। 1780 में चेरो का आंदोलन ज्वार विद्रोह भूमिज विद्रोह टंट्या मामा का विद्रोह बिरसा मुंडा का विद्रोह संथाल का विद्रोह जमीदारों और साहूकारों द्वारा वसूली के विरोध में चलाया गया।हल्दीबाई भील वीरांगना भी 1576 को मुगलों के साथ लड़ते हुए शहीद हो गए। उनके बलिदान को हम शत शत नमन करते हैं उनके नाम पर ही हम हल्दीघाटी के नाम से जाना जाता है।

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