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आला हजरत ने हमेशा दिया अमन व शान्ती का पैगाम :मुजाहिद रजा़

जयनगर: पूरे प्रखंड में बरेली के इमाम अहमद रजा खान (अख्तर रजा) का 101वां सालाना ऊर्स मुबारक मनाया गया। ऊर्स के मौके पर प्रखंड के जयनगर, लोहाडंडा, इरगोबाद, पथलकूदवा,रघुनियाडीह,गोपालडीह,ककरचोली,बड्डीहा,पीपचो,तेतरोन,देवीटांड,नइटांड़,आदि गांव के मस्जिदों में सुबह कुरानख्वानी तथा दोपहर में मिलाद का कार्यक्रम रखा गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जामा मस्जिद के इमाम कारी मुजाहिद रजा ने कहा कि आला हजरत की जीवनी को विस्तार से बताते हुए कहा कि आला हजरत सुन्नियत के इमाम है। उन्होंने 58 भाषाओं का ज्ञान हासिल किया तथा 1000 किताबें हर भाषा में लिखीं। आला हज़रत बहुत बड़े मुफ्ती, आलिम, हाफिज़, लेखक, शायर, धर्मगुरु, भाषाविद, युगपरिवर्तक, तथा समाज सुधारक थे। जिन्हें उस समय के प्रसिद्ध अरब विद्वानों ने यह उपाधि दी। उन्होंने भारतीय उपमहाद्वीप के मुसलमानों के दिलों में अल्लाह तआला व मुहम्मद रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम वसल्लम के प्रति प्रेम भर कर हज़रत मुहम्मद रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम तआला की सुन्नतों को जीवित कर के इस्लाम की सही रूह को पेश किया। कारी मिनहाज ने बताया किआला हज़रत बहुत बड़े मुफ्ती, आलिम, हाफिज़, लेखक, शायर, धर्मगुरु, भाषाविद, युगपरिवर्तक, तथा समाज सुधारक थे। कारी शमीम अहमद ने बताया किआला हज़रत इमाम अहमद रज़ा खान क़ादरी 14 वीँ शताब्दी के नवजीवनदाता (मुजद्दिद) थे। जिन्हेँ उस समय के प्रसिद्ध अरब विद्वानों ने यह उपाधी दी। जलसे के कार्यक्रम में सय्यद सरफराज अहमद ने आला हजरत की बारगाह में नात पेश किया। मौके पर आला हजरत अकीदत मंदो ने उनकी बारगाह में खिराज अकीदत पेश करते हुए पूरे मुल्क में अमन व शांति कायम रहने की दुआएं मांगे।

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